Wednesday, May 30, 2018

मुलाकात

तुम और मैं.... 

अरे हाँ, मैं और तुम,
चलो आज एक सौदा करते हैं,
अजनबी के जैसे फिर से मिलते हैं,
क्या पता, 


कहानी का रुख बदल जाए 
शायद वो मुलाकात वाला मोड़ ही ना आए, 
और हम,


एक-दुजे से अनजाने ही रह जाए,
तो चलो, 


नयी शुरूआत करते हैं 
अजनबी के जैसे फिर से मिलते हैं।

दुआ

हर रोज करती हूँ रब से तुम्हारे लिए दुआएं,
पर उस रब दी सौं,
उन दुआओं में तुम्हे कभी नहीं माँगा!



Friday, April 27, 2018

मुझे चलना है

टूटकर चाहे बिखरूँ
फिर भी चलना है
गिरूँ हजारों बार सही
हर बार संभलना है
बेटा नहीं बेटी हूँ
तो पल पल खुद को साबित करना है
मुझे चलना है
लड़की हूँ तो मान बैठे हैं कि कमजोर हूँ
सो कुछ बदलना है तो
खुद को साबित करना है
नये रंगों में रंगना है,
हर सांचे में ढलना है
माज़ी का तो पता नहीं
पर कल को बदलना है
मुझे चलना है
माँ कहती है,
कि कुछ अलग है मुझ में,
काश मैं उनका बेटा होती
बेटा नहीं,
बेटे जैसे नहीं,
मैं बेटी हूँ
तो काबिल हूँ
अब ये उनको समझना है
थकना नहीं,
रूकना नहीं,
बस बढ़ना है
सपनों के लिए अपनों से तो क्या
अपने आप से भी लड़ना है,

पर मुझे चलना है.

रविवारी- हर चेहरे में कहानियों का बाज़ार

रविवारी बाज़ार में खींची गयी एक तस्वीर रविवारी....  जहां आपको घर से लेकर बाजार की हर छोटी बड़ी चीजें मिल जाएंगी,  जहां आप किताब...