Thursday, August 9, 2018

रंगमंच (थिएटर)



निराली है चेहरे की रंगत,
जाने कैसे,
वो इतना खुश रहते हैं,
अच्छी लगती है 
वो तालियों की आवाज,
जिसे वो जिंदगी कहते हैं,
भीड की अजीब-सी खलिश में भी
वो ढूँढ लेते हैं अपना हिस्सा,
चौराहे का तमाशा,
गलियों की कहानी या
नुक्कड का किस्सा,
सबके लिए हैं ये सिर्फ भागती-सी जिंदगी का जरा सा अंश,
पर जनाब,
उनका क्या,
जिनकी जिंदगी है बस यही रंगमंच!

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