Wednesday, June 6, 2018

वो बेटी है

Manjulata (Literacy India NGO)


अपना घर चलाना ही, 
उसके लिए कर्म है,
और अपने काम में ईमानदारी, 
यही उसका धर्म है 

मीलों की दूरी को 
हौंसलों से नाप लेती है,

अपनी साइकिल को ही 
हवाई जहाज मान लेती है...

गिरती-संभलती, 
हर पल से कुछ सिखती, 

पूरे दिल से मुस्कारती है,
बेटा नहीं, बेटे जैसी नहीं, 

जनाब,

वो बेटी है, 
इसलिए जिंदगी को जिंददिली से निभाती है 

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