A desi girl with an optimistic approach, who prefer to see the glass half full and trying to strike a balance between the traditional values and progressive thinking.
Wednesday, May 30, 2018
Friday, April 27, 2018
मुझे चलना है
टूटकर चाहे बिखरूँ
फिर भी चलना है
गिरूँ हजारों बार सही
हर बार संभलना है
बेटा नहीं बेटी हूँ
तो पल पल खुद को साबित करना है
मुझे चलना है
लड़की हूँ तो मान बैठे हैं कि कमजोर हूँ
सो कुछ बदलना है तो
खुद को साबित करना है
नये रंगों में रंगना है,
हर सांचे में ढलना है
माज़ी का तो पता नहीं
पर कल को बदलना है
मुझे चलना है
माँ कहती है,
कि कुछ अलग है मुझ में,
काश मैं उनका बेटा होती
बेटा नहीं,
बेटे जैसे नहीं,
मैं बेटी हूँ
तो काबिल हूँ
अब ये उनको समझना है
थकना नहीं,
रूकना नहीं,
बस बढ़ना है
सपनों के लिए अपनों से तो क्या
अपने आप से भी लड़ना है,
पर मुझे चलना है.
Subscribe to:
Posts (Atom)
रविवारी- हर चेहरे में कहानियों का बाज़ार
रविवारी बाज़ार में खींची गयी एक तस्वीर रविवारी.... जहां आपको घर से लेकर बाजार की हर छोटी बड़ी चीजें मिल जाएंगी, जहां आप किताब...
-
टूटकर चाहे बिखरूँ फिर भी चलना है गिरूँ हजारों बार सही हर बार संभलना है बेटा नहीं बेटी हूँ तो पल पल खुद को साबित करना है मुझे च...