पता भी नहीं चला
कब, कैसे और क्यों
तुम दोस्त से घर बन गए
हाँ, घर वो घर जिसमें सुकून है
वो घर जहां मुस्कराहट के साथ आंसू भी हैं
लेकिन सच कहूं
इस घर में रोना भी मुझे बुरा नहीं लगता
ना तो कभी मिस नौटंकी के मजाक बनाने का बुरा लगा
ना कभी मिस क़्वीन बेकर के तानों का
और डोरेमोन, उस पर तो सिर्फ प्यार ही आया
क्लासमेट्स, बैचमेट्स या होस्टलमेट्स
जाने कितने रिश्ते बांटें हैं
और अब देखों हम खुद ही बंट गए
शहरों में
पर फिर भी हम अलग नहीं हुए
आज भी मेरे हाथ ऑइलिंग करना मिस करते हैं
सब चीज़े हैं मेरे पास
पर पता है मैं खुद को स्क्रब तक नहीं कर पाती
चॉकलेट्स खरीदने से पहले
न जाने कितनी बार सोचती हूँ
और चाय
मैं चाय सिर्फ इसलिए नहीं पीती
कि मुझे चाय पसंद है
मैं पीती थी क्योंकि
उसमें मिस बेकर की हंसी घुली थी
मेरी नौटंकी के ताने
और डोरेमोन का सरकेज़म
और अब चाय सिर्फ पीने के लिए पीती हूँ
तैयार होने के लिए भी खुद को कितनी बार मनाना पड़ता है
मेरे लिपस्टिक लगाने पर कोई मुहं बनाने वाला नहीं है ना
कपडे शेयर करने वाला कोई नहीं है
और ना ही कोई अब आयरन के लिए आता है
क्या सच में यही होता है सबके साथ
क्या सच में सब दोस्त ऐसे ही बंट जाते हैं
इस बार जब पीरियड्स हुए,
तो, सबसे पहले
फ़ोन पर हाथ गया, मिस बेकर का नंबर जो मिलाना था
सच कहूं तो इस बार दर्द पीरियड्स से ज्यादा
तेरा मेरे साथ ना होने का था
डी-मार्ट 5 मिनट भी दूर नहीं
पर अब जाने का मन नहीं करता
अब धीरे-धीरे अकेले खाना खाने की आदत हो रही है
और शायद मैं अकेला रहना सीख रही हूँ
मेरी पड़ोसन को कहना कि
बहुत मिस करती हूँ
उसका मेरे कमरे में ना आना
उसकी सीरीज के किस्से
उसके रोमांस के सपने और
उसका सवाल
"और मैडम, हीरो कैसा है तेरा?"
हीरो तो हमेशा से ही अच्छा था
पर मैं उसकी हीरोइन नहीं शायद
हाँ, मेरी अचीवमेंट तो 'जगत माता' होना है ना
या फिर छम्मो और लाली-लिपस्टिक
जो भी हो,
हर बदलाव आपको कुछ नया सिखाता है
मैं भी सीख रही हूँ, बस शायद अकेले
वैसे, 'अहमदाबाद' इतना भी बुरा नहीं है
पर इस शहर से प्यार नहीं हुआ अभी तक
जैसे दिल्ली और हैदराबाद से है
क्योंकि इस शहर में घर नहीं बना अभी तक
क्योंकि मेरे घर से भी एक अलग घर
तुम्हारे साथ है ना।